प्रश्न — हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में आॅक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर — हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में आॅक्सीजन की शरीर के सभी भागेां को आवश्यकता होती है तथा इन जीवों की सभी कोशिकाएॅ अपने आस—पास के पर्यावरण के सीधे सम्पर्क में नहीं रहती अत: साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर सकता इसलिए विसरण अपर्याप्त है।
प्रश्न — कोई वस्तु सजीव हे, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदण्ड का उपयोग करेंगें?
उत्तर — कोई वस्तु सजीव हे इसका निर्धारण करने के लिए हम विभिन्न प्रकार की अदश्य आण्विक गतियों को जीवन सूचक मापदण्ड मानेंगे।
प्रश्न — किसी जीव द्वारा किन—किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर — किसी जीव द्वारा कच्ची सामग्री के रूप में विभिन्न कार्बन आधारित अणुओं, आॅक्सीजन, जल एवं सौर ऊर्जा तथा विभिन्न लवणों का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न — जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर — जीवन के अनुरक्षण के लिए हम पोषण, श्वसन, शरीर के अन्दर पदार्थो का संवहन तथा अपशिष्ट हानिकारक पदार्थो के उत्सर्जन आदि प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे।
प्रश्न — स्वयंपोषी पोषण एवं विषमपोषी पोषण में क्या अन्तर है?
उत्तर — स्वयंपोषी पोषण में जीव बाहर से कार्बन डाइआॅक्साइड एवं जल ग्रहण करके क्लोरोफिल एवं सौर प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश — संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भेाजन स्वयं बनाते है, जबकि विषमपोषी पोषण में जीव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वयंपोषी जीवों द्वारा निर्मित भोजन ग्रहण करते है।
प्रश्न — प्रकाश — संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहॉ से प्राप्त करता है?
उततर — प्रकाश— संश्लेषण के लिए पोधा जल मृदा से तथा कार्बन डाइआॅक्साइड वायुमण्डल से एवं ऊर्जा सौर प्रकाश से प्राप्त करता है।
प्रश्न — हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर — हमारे आमाशय में अम्ल भोजन के साथ आये हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कराता है तथा माध्यम को अम्लीय बनाता है जो पेप्सिन एन्जाइम की क्रिया में सहायक होता है, लेकिन अधिक मात्रा में अम्ल अम्लीयता (ऐसिडिटी) पैदा करता है।
प्रश्न — पाचक एन्जाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर — पाचक एन्जाइम जटिल कार्बनिक पदार्थो को सरल पदार्थो में परिवर्तित करने मे सहायक होते है। ये कार्बोहाइड्रेट्रस को ग्लूकोज में, वसा को वसीय अम्लों में तथा प्रोटीनों को अमीनों अम्लों में परिवर्तित करके भोजन का पाचन करते हैं।
प्रश्न — पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षद्रान्त को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर — क्षद्रान्त की भित्ति के आन्तरिक अस्तर पर अनेक अॅगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढा देते हैं तथा दीर्घ रोमों में रूधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो पचे हुए भोजन का अवशोषण कर लेते हैं। इस प्रकार क्षुद्रान्त को पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए अभिकल्पित किया गया है।
प्रश्न — श्वसन के लिए आॅक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर — जलीय जीव श्वसन के लिए जल में घुली हुई आॅक्सीजन का उपयोग करते है, जबकि स्थलीय जीव वायुमण्डल में उपसिथति आॅक्सीजन का उपयोग करते हैं। जल में घुली आॅक्सीजन की मात्रा वायुमण्डल में उपलब्ध आॅक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम होती है। इसलिए श्वसन के लिए आॅक्सीजन प्रापत करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव ज्यादा लाभप्रद है।
प्रश्न — ग्लूकोज के आॅक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या है?
उत्तर — ग्लूकोज के आॅक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ —
सर्वप्रथम कोशिकाद्रव्य में ग्लूकोज विखण्डित होकर तीन कार्बन अणु देता है, जिसे पायरूवेट कहते हैं। पायरूवेट पुन: विखण्डित होकर ऊर्जा देता है।
प्रश्न — मनुष्य में आॅक्सीजन एवं कार्बन डाइआॅक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर — मनुष्य में आॅक्सीजन एवं कार्बन डाइआॅक्साइड का परिवहन मनुष्य के रक्त की लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित लाल वर्णक हीमोग्लोबिन द्वारा होता है।
प्रश्न — गैसों के विनियम के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
उत्तर — हमारे फुफ्फुसों के मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभिाजित हो जाता है जिन्हें कूपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैस का विनिमय हो सके। इस प्रकार गैसों के विनियम के लिए मानव फुफ्फुसों में अधिकतम क्षेत्रफल अभिकल्पित किया गया है।
प्रश्न — मानव के वहन तन्त्र के घटक कौन — से है? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर — मानव के वहन (परिसंचरण) तन्त्र के घटक निम्न हैं —
(1) रक्त (रूधिर), (2) हद्य, (3) रूधिर वाहिकाएॅ।
- रक्त — यह परिवहन माध्यम का कार्य करता है जो अपने अन्दर विभिन्न गैसों (कार्बन डाइआॅक्साइड, आॅक्सीजन), विभिन्न एन्जाइमों, अपशिष्ट हानिकारक पदार्थो को एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन करता है।
- हद्य — यह रक्त को विभिन्न भागों को भेजने एवं वहॉ से रक्त एकत्रित करने के लिए पम्प का कार्य करता है।
- रूधिर वाहिकाएॅ — इनके माध्यम से ही रक्त का विभिन्न भागों में परिवहन होता है।
प्रश्न — स्तनधारी तथा पक्षियों में आॅक्सीजन एवं विआॅक्सीजनित रूधिर को अलग—अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर — स्तनधारी एवं पक्षियों को अपने शरीर एक तापमान बनाए रखने के लिए निरन्तर ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं। इसलिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता की आपूर्ति के लिए इनमें आॅक्सीजन तथा विआॅक्सीजनित रूधिर को अलग—अलग करना आवश्यक है जिससे उच्च दक्षतापूर्ण आॅक्सीजन की आपूर्ति हो सके।
प्रश्न — उच्च संगठित पादप में वहन तन्त्र के घटक कया है?
उत्तर — उच्च संगठित पादप में वहन तन्त्र के प्रमुख घटक हैं — जाइलम तथा फ्लोएम, जिन्हें संयुक्त रूप से संवहन ऊतक कहते है।
प्रश्न — पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर — पादपों में जल एवं खनिज लवणों का वहन संवहन ऊतक जाइलम द्वारा होता है।
प्रश्न — पादप में भोजन का स्थानान्तरण कैसे होता है?
उत्तर — पादप में भोजन का स्थानान्तरण संवहन ऊतक फ्लोएम द्वारा होता है।
प्रश्न — उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते है?
उत्तर — पादप अपशिष्ट पदार्थो से छुटकारा प्राप्त करने के लिए विविध तकनीकों का उपयोग करते है। उदाहरण के लिए अपशिष्ट पदार्थ कोशिका रिक्तिका में संचित किए जा सकते हे। या ये अपने आस—पास की मृदा में उत्सर्जित कर देते है।
इस प्रकार पादप अपशिष्ट पदार्थो से छुटकारा पाने के लिए अनेक विधियों का उपयोग करते है।
प्रश्न — मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर — मूत्र बनने की मात्रा का नियमन उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा एवं उत्सर्जन हेतु प्राप्त विलेय वज्र् र्य की मात्रा पर निर्भ्रर करता है।
प्रश्न — हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहॉ होता है?
उत्तर — हमारे शरीर में वसा का पाचन क्षुद्रान्त के ऊपरी भाग ग्रहणी (ड्यूओडिनम) में होता है। जहॉ पित्ताशय से क्षारीय पित्त रस पित्त नली द्वारा भोजन में मिलता है जो भोजन के माध्यम को क्षारीय बना देता है जिससे अग्न्याशय से प्राप्त पाचक रस सक्रिय होते है। पित्त रस वसा को इसल्सीफाई कर देता है तथा अग्न्याशय रस से प्राप्त लाइपेज एन्जाइम इमल्सीफाइड वसा का पाचन वसीय अम्लों में कर देता है। इस प्रकार वसा का पाचन हमारे शरीर में क्षुद्रान्त के ऊपरी भाग में होता हैं।
प्रश्न — भोजन में पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर — मुॅह में स्थित लार ग्रंथियों से लार निकलकर चबाये हुए भोजन में मिलकर इसे चिकना तथा लसलसा बना देती है जिससे यह भोजननली में आसानी से फिसल सकता है। इससे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि लार में उपस्थित एन्जाइम एमाइलेज मण्ड के जटिल अणुओं को शर्करा में खण्डित कर देती है जो मण्ड की अपेक्षा काफी सरल अणु होते हैंं। इस तरह लार भोजन के पाचन में अहम् भूमिका निभाती है।
प्रश्न — स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियॉ कौन — सी है और उसके उपोत्पाद क्या है?
उत्तर — स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियॉ — (1) कार्बन डाइआॅक्साइड की उपलब्धता, (2) जल की उपलब्धता, (3) सौर ऊर्जा की उपलब्धता तथा (4) क्लोरोफिल की उपलब्धता।
स्वपोषी पोषण के उपोत्पाद — (1) ग्लूकोज, (2) आॅक्सीजन गैस।
प्रश्न — वायवीय एवं अवायवीय श्वसन में क्या अन्तर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर — वायवीय श्वसन एवं अवायवीय श्वसन में अन्तर —
वायवीय श्वसन (आॅक्सी श्वसन) —
- यह श्वसन वायु (आॅक्सीजन) की उपस्थिति में होता है।
- यह क्रिया कोशिकाद्रव्य एवं माइटोकाण्ड्रिया में घटित एवं पूर्ण होती है ।
- इस क्रिया में ग्लूकोज का पूर्ण अपचयन होता है।
- इस क्रिया में कार्बन डाईआक्साईड एवं हाईड्रोजन उत्पन्न होते है।
- इस श्वसन में बहुत अधिक ऊर्जा मोचित होती है।
अवायवीय श्वसन (अनॉक्सी श्वसन)
- यह श्वसन वायु (आॅक्सीजन) की अनुपस्थिति में होता है।
- यह क्रिया केवल कोशिकाद्रव्य में घटित एवं पूर्ण होती है।
- इस क्रिया में ग्लूकोज का अपूर्ण उपचयन होता है ।
- इस क्रिया में कार्बन डाईआक्साइड एवं ऐल्कोहॉल उत्पन्न होते है।
- इस श्वसन में वायवीय श्वसन की अपेक्षा बहुत कम ऊर्जा मोचित होती है।
जीवों के नाम जिनमें अवायवीय श्वसन होता है — कुछ जीवाणु (बैक्टीरिया) एवं यीस्ट (फंगी)।
प्रश्न — गैसो के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएॅ किस प्रकार अभिकल्पित है?
उत्तर — कूपिकाएॅ गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए पर्याप्त सतह उपलब्ध कराती है।
प्रश्न — हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर — श्वसन के फलस्वरूप प्राप्त आॅक्सीजन का परिवहन करने तथा उसे ऊतकों तक पहुॅचाने का कार्य हीमोग्लोबिन करता है। इसकी कमी से श्वसन क्रिया प्रभावित होगी। शरीर को ऊर्जा कम मिलेगी क्योकि आॅक्सीजन की पर्याप्त मात्रा प्राप्त नहीं होगी।
प्रश्न — मनुष्य में दोहरे परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर — ''मनुष्य में प्रत्येक चक्र में रूधिर दो बार हदय में जाता है। इसे दोहरा परिसंचरण कहते है।'' इस प्रक्रिया में एक बार आॅक्सीजनित रक्त फुफ्फुसों (फेफड़ो) से हदय में आता है तो दूसरी बार अनॉक्सीजनित रक्त शरीर के विभिन्न भागों से हदय में आता है।
दोहरा परिसंचरण आॅक्सीजनित एवं विआॅक्सीजनित रूधिर को मिलने से रोकने में सहायक होता है जिससे उच्च ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
प्रश्न — जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थो के वहन में क्या अन्तर है?
उत्तर — जाइलम पादपों में जड़ों द्वारा मृदा से अवशोषित जल एवं खनिजों को पत्तियों तक पहुॅचाने के लिए वहन करते हैं, जबकि फ्लोएम पत्तियों द्वारा निर्मित पदार्थो को पादप के विभिन्न भागों तक पहूॅचाने के लिए वहन करते है।
प्रश्न — फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर — फुफ्फुस में कूपिकाओं की रचना श्वसन नलिकाओं के सिरों की फूले हुए गुब्बारे की तरह संरचना होती है, जबकि वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना में रूधिर केशिकाओं का गुच्छा होता है जो एक नलिका के कप के आकार के सिरे के अन्दर स्थित होता है।
प्रश्न — '' सभी पौधे दिन के प्रकाश में आॅक्सीजन एवं रात्रि में कार्बन डाइआॅक्साइड देते है।'' क्या आप इस कथन से सहमत हैं? कारण बताइए।
उत्तर — दिन के प्रकाश में प्रकाश — संश्लेषण की क्रिया के फलस्वरूप आॅक्सीजन बनने की दर श्वसन के फलस्वरूप कार्बन डाइआॅक्साइड बनने की दर से बहुत अधिक होती है परिणामस्वरूप दिन में पौधे आॅक्सीजन देते हैं और रात में प्रकाश — संश्लेषण नहीं होता केवल श्वसन होता है। इसलिए कार्बन देते है।
प्रश्न — गार्ड सेल किस प्रकार पर्णरन्ध्रों को खोलने एवं बन्द करने की प्रक्रिया को नियन्त्रित करते है?
उत्तर — जल के अवशोषण से गार्ड सेल के फूलने के कारण पर्ण—रन्ध्र खुल जाते हैं और जल निष्कासन से गार्ड सेल के सिकुडने के कारण पर्णरन्ध्र बन्द हो जाते हैंं। इस प्रकार गार्ड सेल पर्णरन्ध्रों को खोलना एवं बन्द करने की प्रक्रिया को नियन्त्रित करते है।
प्रश्न — दो हरे पौधे अलग—अलग आॅक्सीजनरहित बन्द पात्रों में रखे जाते हैं। एक अॅधेरे में तािा दूसरा लगातार सौर—प्रकाश में। कौन सा पौधा अधिक समय तक जीवित रहेगाा और क्यो?
उत्तर— जो पौधा लगातार सौर—प्रकाश में रखा गया वह ही अधिक समय तक जीवित रहेगाा, क्योकि ये श्वसन लिए आवश्यक आॅक्सीजन प्रकाश—संश्लेषण की क्रिया द्वारा उत्पन्न करने में सक्षम है।
प्रश्न — यदि कोई पौधा दिन के प्रकाश में कार्बन — डाइआॅक्साइड निकाल रहा है तथा आॅक्सीजन ले रहा है, क्या इसका मतलब यह है कि प्रकाश — संश्लेषण की क्रिया नहीं हो रही है?
उत्तर — प्राय: यह माना जाता है कि यदि दिन के प्रकाश में पौधे कार्बन—डाइआॅक्साइड निकाल रहे हैं। तथा आॅक्सीजन ले रहे हैं तो या तो प्रकाश—संश्लेषण की प्रक्रिया हो नहीं रही है अथवा श्वसन की प्रक्रिया से बहुत कम गति से हो रही है लेकिन वास्वतव में दिन के प्रकाश में पौधे आॅक्सीजन गैस निकालते हैं तथा कार्बन डाइआॅक्साइड जो श्वसन में उत्पन्न होती है का अवशोषण कर लेते हैं। चूॅकि प्रकाश — संश्लेषण की प्रक्रिया श्वसन की प्रक्रिया के सापेक्ष तीव्र गति से होती है। अत: दिन के प्रकाश में पौधे कार्बन—डाइआॅक्साइड नहीं बल्कि आॅक्सीजन गैस निकालते है।
प्रश्न — जल से बाहर निकालने पर मछलियॉ क्यों मर जाती है?
उत्तर — मछलियॉ गिल्स की सहायता से श्वसन करती हैं और इसके लिए वे जल में घुली आॅक्सीजन को ही अवशोषित करने में सक्षम होती हैं। मछलियॉ वायुमण्डलीय आॅक्सीजन का अवशोषण नहीं कर पाती अत: जल से बाहर निकालने पर श्वसन के अभाव में मर जाती है।
प्रश्न — यदि पृथ्वी से हरे पेड़—पौधे विलुप्त हो जाएॅ तो क्या होगा?
उत्तर — सम्पूर्ण जीव पोषण के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते है। इसलिए सभी जीव भुखमरी से मृत्यु को प्राप्त होंगे।
प्रश्न — शाकाहारी जीवों में क्षुद्रान्त्र लम्बी तथा मॉसाहारी जीवों में छोटी होती है, क्यों?
उत्तर — शाकाहरी जीवों में सेल्यूलोज का पाचन समय लेता है इसलिए उनकी क्षुद्रान्त्र लम्बी होती है, जबकि मॉसाहारी जीवों में सेल्यूलोज के पाचन की आवश्यकता नहीं होती और मॉसाहार जल्दी पच जाता है। इसलिए उनकी क्षुद्रान्त्र छोटी होती है।
प्रश्न — यदि आमाशयिक ग्रंथियों से म्यूकस का स्रावण नहीं हो, तो क्या होगा?
उत्तर — म्यूकस आमाशय के आन्तरिक अस्तर की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं पेप्सिन एन्जाइम की अभिक्रिया से रक्षा करता है। यदि आमाशयी ग्रंथियों से म्यूकस का स्रावण नहीं होगा तो आमाशय के आन्तरिक अस्तर का संक्षारण हो जाएगा।
प्रश्न — वसा के इमल्सीकरण का क्या महत्व है?
उत्तर — भोजन में वसा बड़ी—बड़ी कणिकाओं के रूप में उपस्थित होता है जिन पर पाचक एन्तजाइम को क्रिया करने में कठिनाई होती है। इमलसीकरण में पित्तरस द्वारा वसा की बड़ी—बड़ी कणिकाओं को यान्त्रिक रूप से छोटी—छोटी कणिकाओं में विभक्त कर दिया जाता है। इससे एन्जाइम की क्रिया आसान हो जाती है।
प्रश्न — आहार नाल के अन्दर भोजन के गतिमान होने का क्या कारण है?
उत्तर — भोजन नली की दीवारों में मॉसपेशियॉ होती हैं जो लगातार संकुचन विमोचन करती रहती है जो पूरी आहार नाल में होती रहती है। इसके फलस्वरूप भोजन आहार नाल में आगे गतिमान होता रहता है।
प्रश्न — जलीय जीवों में पार्थिव जीवों की अपेक्षा श्वसन दर क्यों अधिक होती है?
उत्तर — जलीय जीव जल में घुली हुई आॅक्सीजन का अवशोषण श्वसन के लिए करते हैं, जिसकी मात्रा वायुमण्डीय आॅक्सीजन से काफी कम होती है, जबकि पार्थिव जीव वायुमण्डल से आॅक्सीजन लेते हैं जो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है। इसलिए जलीय जीवों की श्वसन दर पार्थिव जीवों से अधिक होती है।
प्रश्न — मनुष्यों में रक्त संचरण दोहरा रक्त संचरण क्यों कहलाता है?
उत्तर — मनुष्य के पूरें शरीर में रक्त के संरचरण के एक चक्र में रक्त हदय में दो बार गुजरता है। एक बार दाहिने भाग से अनॉक्सीजनित रक्त और दूसरी बार बाएॅ भाग से आॅक्सीजनित रक्त। इसलिए मनुष्य में रक्त संचरण दोहरा रकत संरचरण कहलाता है।
प्रश्न — मानव हदय में चार प्रकोष्ठ होने के क्या लाभ है?
उत्तर — मानव हदय में चार प्रकोष्ठ होते हैं। दोनों बाएॅ प्रकोष्ठ पूर्णतया दोनों दाएॅ प्रकोष्ठों से पृथक्कृत होते है। यह आॅक्सीजनित एवं अनॉक्सीजनित रकत को आपस में मिश्रित होने से रोकता है। इससे आॅक्सीजनित रक्त सम्पूर्ण शरीर को उपलब्ध कराने की क्षमता बढ़ जाती है।
प्रश्न — जीवधारियों में ऊर्जा—मुद्रा का नाम लिखिए यह कब और कहॉ उत्पन्न होती है?
उत्तर — ऊर्जा—मुद्रा का नाम है — ऐडीनोसिन ट्राइ फॉस्फेट (ATP) । इसका उत्पादन जीवधारियों में श्वसन के समय एवं पेड़—पौधों में प्रकाश—संश्लेषण के समय भी होता है।
प्रश्न — 'कस्कुटा', टिक्स एवं लीच में क्या समानता है?
उत्तर — तीनों ही परजीवी हैं। वे अपना पोषण पेड़—पौधों एवं जन्तुओं से बिना उनका वध किए ही प्राप्त कर लेते है।
प्रश्न — शिराओं की दीवारें धमनियों से पतली क्यों होती है?
उत्तर — धमनियों में रक्त का प्रवाह हदय से शरीर के विभिन्न भागों को अधिक दाब के साथ होता है। जबकि शिराओं में रक्त शरीर के विभिन्न भागों से हदय में एकत्रित होता है। जिसमें कोई अधिक दाब नहीं होता। इसलिए शिराओं की दीवारें धमनियों की अपेक्षा पतली होती है।
प्रश्न — अगर रक्त में प्लेटलेट्स का अभाव हो जाए तो क्या होगा?
उत्तर — रक्त में प्लेटलेट्स के अभाव के कारण रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया रूक जाएगी और चोट लगने पर रक्त बहता रहेगा।
प्रश्न — जन्तुओं की अपेक्षा पौंधों को कम ऊर्जा की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर — जन्तुओं में जन्तुओं की तरह प्रचलन नहीं होता तथा बड़े वृक्षों में मृत कोशिकाएॅ पर्याप्त मात्रा में स्क्लेरेनकाइमा की तरह पाई जाती है। इसलिए पौधों को जन्तुओं की अपेक्षा कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न — पौधों की पत्तियॉ उत्सर्जन में किस प्रकार सहायता करती है?
उत्तर — बहुत से पौधों में अपशिष्ट पदार्थ मीजोफिल कोशिकाओं और एपीडर्मल कोशिकाओं में एकत्रित होते हैं। जब पुरानी पत्तियॉ पौधे से गिर जाती है तो अपशिष्टों का उत्सर्जन पत्तियों के साथ ही हो जाता है। इस प्रकार पत्तियॉ उत्सर्जन में सहायक होती है।
प्रश्न — क्यों और कैसे जल लगातार जड़ की जाइलम में प्रवेश करता रहता है?
उत्तर — जड़ों की कोशिकाएॅ मृदा के सम्पर्क में रहती है। इसलिए सक्रियता के साथ आयन ग्रहण करती है। इससे जड़ के अन्दर आयन सान्द्रण बढ़ जाता है और परिणामस्वरूप परासरण दाब बढ़ जाता है जिसके कारण मृदा से लगातार जल पेड़ों के जाइलम में प्रवेश करता रहता है।
प्रश्न — निम्न के नाम लिखिए।
- पौधो में सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा से जोड़ने वाली प्रक्रिया का।
उत्तर — प्रकाश — संश्लेषण।
- उन जीवों का जो अपना भोजन स्वयं बना सकते है।
उत्तर — स्वयंपोषी
- उस कोशिकांग का जहॉ प्रकाश — संश्लेषण की प्रक्रिया घटित होती है।
उत्तर — क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक)
- पर्णरन्ध्र के चारों ओर से घेरे रखने वाली कोशिकाओं का।
उत्तर — गार्ड कोशिका।
- उन जीवों का जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते है।
उत्तर — विषमपोषी
- आमाशयी ग्रंथियों से स्त्रावित होने वाले उस एन्जाइम का नाम जो प्रोटीन के पाचन में सहायक है।
उत्तर — पेप्सिन
प्रश्न् — क्या पोषण किसी जीव के लिए आवश्यक है? समझाइए।
उत्तर — किसी भी जीव के लिए आवश्यक है, क्योंकि भोजन निम्न उद्देश्यों की पूर्ति करता है —
- यह विविध चयापचय क्रियाओं जो भी जीव के अन्दर घटित होती है, के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
- यह नई कोशिकाओं के निर्माण एवं वृद्धि तथा पुरानी टूटी—फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करने अथवा उनके बदलने के लिए अति—आवश्यक है।
- यह विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
प्रश्न — एक गमले में लगे स्वस्थ पौधों की पत्तियों पर वैसलीन का लेप कर दिया गया। क्या यह पौधा लम्बे समय तक स्वस्थ बना रहेगा?
उत्तर — यह पौधा लम्बे समय तक स्वस्थ नहीं बना रहेगा क्योकि —
- यह श्वसन के लिए आॅक्सीजन ग्रहण नही कर सकेगा तथा आॅक्सीजन के अभाव में इसके विभिन्न प्रक्रमों के लिए ऊर्जा का अभाव हो जाएगा।
- यह प्रकाश — संश्लेषण के लिए कार्बन डाइआॅक्साइड प्राप्त नही कर सकेगा जिससे पौधे के लिए भोजन का निर्माण नहीं हो सकेगा।
- वाष्पोतसर्जन की प्रक्रिया नहीं होगी। इससे पौधे का अतिरिक्त जल नहीं निकल सकेगा तथा जल एवं खनिजों का जड़ से पत्तियों तक प्रवाह बाधित होगा।
प्रश्न — धमनी एवं शिरा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर — धमनी —
- इसकी दीवारें मोटी, मॉसल तथा इलास्टिक (लचीली) होती है।
- इसमें ल्यूमेन संकीर्ण होता है।
- यह हदय से रक्त लेकर उसका संवहन सम्पूर्ण शरीर को करती है।
- पल्मोनरी धमनी को छोड़कर शेष सभी धमनियॉ आॅक्सीजनित रकत का संवहन करती हैं।
- इसमें कपाट (वाल्व) नहीं पाए जाते हैं।
शिरा —
- इसकी दीवारें पतली तथा बिना लचक वाली होती है।
- इसमें ल्यूमेन चौड़ होता है।
- यह सम्पूर्ण शरीर से रक्त को लेकर हदय में एकत्रित करती है।
- पल्मोनरी शिरा को छोड़कर शेष सभी शिराएॅ अनॉकसीजनित रकत का संवहन करती है।
- इनमें कपाट (वाल्व) पाए जाते हैं।
प्रश्न — प्रकाश—संश्लेषण के लिए पत्तियों में क्या—क्या विशेषताएॅ होती है?
उत्तर — प्रकाश—संश्लेषण के लिए पत्तियों में विशेषताएॅ होती है —
- अधिकतम सौर ऊर्जा के शोषण के लिए पत्तियॉ अधिकतम पृष्ठीय क्षेत्रफल उपलब्ध कराती है।
- पत्तियॉ प्राय: प्रकाश स्त्रोत के लम्बवत् व्यवस्थित होती है जिसमें उनके पृष्ठ पर अधिकतम प्रकाश आपतित हो।
- मीजोफिल कोशिकाओं से और बाहर लाने और उनके अन्दर ले जाने के लिए द्रुत गति से संवहन हेतु कोशिकाओं का वृहदतम जाल की व्यवस्था।
- गैसीय विनिमय (आदन—प्रदान) हेतु अधिकतम पर्णरन्ध्रों की व्यवस्था।
- क्लोरोप्लास्ट (हरितलवकों) का ऊपरी पृष्ठ पर अधिकतम संख्या में उपलब्ध कराने की व्यवस्था।
प्रश्न — पचित भेाजन का सर्वाधिक अवशोषण क्षुद्रान्त्र में मुख्यत: क्यों होता है?
उत्तर — पचे हुए भोजन का अधिकतम अवशोषण क्षुद्रान्त में होता है, क्योंकि —
- क्षुद्रान्त तक आते—आते भेाजन का पूर्णतया पाचन हो जाता है।
- क्षुद्रान्त के आन्तरिक अस्तर में बहुत सी विलाई पायी जाती है जो अवशोषण के लिए अधिकाधिक पृष्ठीय उपलब्ध कराती है।
- क्षुद्रान्त की दीवारों में रक्त केशिकाओं का प्रचुर मात्रा में जाल बिछा होता है। जो अवशोषित भोजन को तुरन्त शरीर के विभिन्न भागों में पहूॅचाने का काम करती है।
प्रश्न — भोजन के पाचन में मुख की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर — भोजन के पाचन में मुख की भूमिका —- भोजन को दॉतो द्वारा चबाने पर भोजन छोटे—छोटे टुकड़ों में पीस दिया जाता है जिससे भोजन का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक हो जाने से पाचक एन्जाइमों का अच्छा असर होता है।
- इसमें अच्छी तरह से लार और लार में उपस्थित एन्जाइम एमाइलेज मिल जाता है जो भोजन में उपस्थित स्टार्च को शर्करा में विघटित कर देता है।
- जिह्वा भोजन में ठीक प्रकार से लार को मिलाने का काम करती है जिससे भेाजन चिकना और मुलायम हो जाता है और आसानी से आहार नाल में आगे बढ़ता है।
प्रश्न — आमाशय की दीवारों में उपस्थित आमाशयी ग्रंथियों की क्या भूमिका है?
उत्तर — आमाशय की दीवारों में उपस्थित आमाशयी ग्रंथियों की भूमिका —- ये ग्रंथियॉ पेप्सिन नामक एन्जाइम का स्त्रावण करती हैं जो प्रोटीन का पाचन करके पेप्टोन्स बनाता है।
- ये ग्रंथियॉ म्यूकस का स्त्रावण करती हैं जो आमाशय की आन्तरिक दीवारों के अस्तर की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं पेप्सिन के द्वारा होने वाले संक्षारण से रक्षा करता है तथा भोजन को मुलायम एवं चिकना बना देता है जिससे इसे आहार नाल में खिसकने में आसानी होती है।
प्रश्न — पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन क्यों आवश्यक है?
उत्तर — पोधों में वाष्पोत्सर्जन का महत्व — वाष्पोंत्सर्जन पौधों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि
- इसके द्वारा पौधे में उपस्थित अतिरिक्त जल की मात्रा का वाष्प के रूप में उत्सर्जन कर दिया जाता है। इससे पौधों में जल का नियमन होता है।
- इसके द्वारा पौधों की ऊष्मा से रक्षा होती है, क्योंकि इसके द्वारा शीतलन होता है।
- यह पौधों में एक खिंचाव पैदा करता है जिससे जड़े मृदा से लवण एवं जल को अवशोषित करके पौधे के ऊपरी भाग में पत्तियों तक प्रेषित कर पाते है।
प्रश्न — वृक्क में मूत्र बनने की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर — वृक्क में मूत्र बनने की प्रक्रिया — वृक्क में वृक्कीय धमनी द्वारा रकत पहूॅचता है। वृक्कीय धमनी से रक्त असंख्य कुण्डलित कोशिका—गुच्छों में पहूॅचता है जो बोमन सम्पुट में स्थित होते हैं। यहीं रक्त का छानन होता है, जिसमें ग्लूकोज, विलेय लवण, यूरिया अम्ल जल में घुला होता है।
यह छनित द्रव अत्यन्त छोटी—छोटी नलिकाओं से गुजरता है जहॉ ग्लूकोज एवं अन्य उपयोगी लवण पुन: अवशोषित करके वृक्कीय शिराओं द्वारा पुन: रक्त में वापस भेज दिए जाते है। शेष बचा द्रव 'मूत्र' कहलाता हे। इस प्रकार वृक्क में मूत्र बनने की प्रक्रिया होती है।
पत्तियॉ जड़ों द्वारा अवशोषित जल एवं वायुमण्डलीय कार्बन डाइआॅक्साइड का सौन—प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में प्रकाश—संश्लेषण द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करती हैं जिससे पौधों को पोषण मिलता है। खनिज विभिन्न प्रकार से पौधों की वृद्धि में सहायक होते है। नाइट्रोजन से विभिन्न प्रकार के प्रोटीन्स बनते हैं जो पौधों का नवीन कोशिकाओं एवं हॉर्मोन्स का निर्माण करती हैं जो पौधों की वृद्धि एवं फलने—फूलने के लिए अति आवश्यक होते है। यह सहजीविता में सहयोग देती है। इस प्रकार मृदा पौधों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अतिरिक्त मृदा पौधों को अपने अन्दर साधे रहती है।
प्रश्न — पौधों की वृद्धि मेें मृदा की क्या भूमिका है? समझाइए।
उत्तर — पौधों की वृद्धि में मृदा की आवश्यकता — मृदा में अनेक खनिज होते हैं तथा जल के अधिशोषण की क्षमता होती है। पौधों की जड़ों द्वारा जल एवं खनिजों का अवशोषण करके पौधों केे ऊपरी भाग (पत्तियों) तक उनका संवहन कर दिया जाता है। मृदा जड़ की कोशिकाओं को श्वसन के लिए आॅक्सीजन उपलब्ध कराती है।पत्तियॉ जड़ों द्वारा अवशोषित जल एवं वायुमण्डलीय कार्बन डाइआॅक्साइड का सौन—प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में प्रकाश—संश्लेषण द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करती हैं जिससे पौधों को पोषण मिलता है। खनिज विभिन्न प्रकार से पौधों की वृद्धि में सहायक होते है। नाइट्रोजन से विभिन्न प्रकार के प्रोटीन्स बनते हैं जो पौधों का नवीन कोशिकाओं एवं हॉर्मोन्स का निर्माण करती हैं जो पौधों की वृद्धि एवं फलने—फूलने के लिए अति आवश्यक होते है। यह सहजीविता में सहयोग देती है। इस प्रकार मृदा पौधों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अतिरिक्त मृदा पौधों को अपने अन्दर साधे रहती है।